Class 8th MP Board Science Paper PDF 2023: Class 8th Science Varshik Paper 2023 MP Board || एमपी बोर्ड कक्षा आठवीं विज्ञान वार्षिक पेपर 2023 MP board class 8 science Varshik paper 2023 || एमपी बोर्ड कक्षा 8वी विज्ञान वार्षिक पेपर PDF
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Class 8th MP Board Science Paper PDF
वार्षिक मूल्यांकन हेतु अभ्यास प्रश्नपत्र
सेम्पल पेपर-5
कक्षा-8
विषय- विज्ञान
समय- 3 घंटे पूर्णांक- 90
नोट- सभी प्रश्न हल करना अनिवार्य है।
प्रश्न 1. सही विकल्प चुनकर लिखिए। (5)
(i) निम्नलिखित में से किसको पीटकर पतली चादरों में परिवर्तित किया जा सकता है.
(अ) एल्युमिनियम
(स) सल्फर
(ब) फास्फोरस
(द) ऑक्सीजन
उत्तर- (अ) एल्युमिनियम
(ii) ब्रेड अथवा इडली फूल जाती है, इसका कारण है-
(अ) उष्णता
(ब) पीसना
(स) यीस्ट कोशिकाओं की वृद्धि
(द) माढ़ने के कारण
उत्तर- (स) यीस्ट कोशिकाओं की वृद्धि
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(iii) दहन के लिए आवश्यक गैस है-
(अ) नाइट्रोजन
(ब) हाइड्रोजन
(स) ऑक्सीजन
(द) क्लोरीन
उत्तर- (स) ऑक्सीजन
(iv) अलैंगिक जनन होता है
(अ) मेढ़क में
(ब) मछली में
(स) सांप में
(द) हाइड्रा में
उत्तर- (द) हाइड्रा में
(v) निम्नलिखित में से कौन सूर्य का ग्रह नहीं है।
(अ) सीरियस
(ब) बुध
(स) शनि
(द) पृथ्वी
उत्तर- (अ) सीरियस
प्रश्न 2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए- (4)
(i) किसी चुम्बक का उत्तरी ध्रुव दूसरे चुम्बक के उत्तरी ध्रुव को…… करता है। प्रतिकर्षित
(ii) फसल उगाने के लिए पर्याप्त सूर्य का प्रकाश एवं मिट्टी से …….तथा पोषक पदार्थ आवश्यक है। जल
(iii) संश्लेपित रेशे, कच्चे माल से संश्लेपित किए जाते हैं, जो ………कहलाता है। पेट्रोरसायन
(iv) टाइफायड रोग………के द्वारा होता है। बैक्टीरिया
प्रश्न 3. अतिलघुउत्तरीय प्रश्न. (18)
(i) ऐसे दो उदाहरण दीजिए जिनमें लगाए गए बल द्वारा वस्तु की आकृति में परिवर्तन हो जाए।
उत्तर – (i) जब कोई आदमी किसी गद्दे पर बैठता है तो गद्दे की आकृति में परिवर्तन हो जाता है।
(ii) दोनों हाथों के बीच में फुले हुए गुब्बारे को रखकर दबाने पर गुब्बारे की आकृति बदल जाती है।
(ii) उपग्रह किसे कहते हैं? कृत्रिम एवं प्राकृतिक उपग्रह के एक-एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर– ग्रहों के गुरुत्वीय क्षेत्र के चारों ओर चक्कर लगाने वाले आकाशीय पिंडों को उपग्रह यानी सैटेलाइट कहते हैं।
1. कृत्रिम उपग्रह-मानव निर्मित उपग्रह जो पृथ्वी की परिक्रमा करते हैं, कृत्रिम उपग्रह कहलाते हैं।
2.प्राकृतिक उपग्रह– प्रकृति में पाए जाने वाले आकाशीय पिंड जो ग्रहों के चक्कर लगाते हैं, उन्हें प्राकृतिक उपग्रह कहते हैं। चंद्रमा पृथ्वी का प्राकृतिक उपग्रह है।
(iii) ईंधन क्या है? ईंधन के अपूर्ण दहन से होने वाली कोई दो हानियाँ लिखिए।
उत्तर – ईधंन (Fuel) ऐसे पदार्थ हैं, जो आक्सीजन के साथ संयोग कर काफी ऊष्मा उत्पन्न करते हैं।
ईंधन के अपूर्ण दहन से होने वाली कोई दो हानियाँ –
1.ईंधन के अपूर्ण दहन से आमतौर पर कार्बन मोनोऑक्साइड गैस (CO) निकलती है। कार्बन मोनोऑक्साइड एक विषैली गैस है क्योंकि सांस लेने पर यह हमारे रक्त की ऑक्सीजन ले जाने की क्षमता को कम कर देती है।
(iv) निषेचन किसे कहते हैं? ये कितने प्रकार का होता है?
उत्तर– निषेचन वह प्रक्रिया है। जिसमें नर के शुक्राणु व मादा के अंडाणु संपर्क में आते हैं। तो उनमें से एक शुक्राणु अंडाणु के साथ मिल जाता है। अतः शुक्राणु और अंडाणु का यह संलयन निषेचन कहलाता है।
निषेचन के प्रकार :- निषेचन दो प्रकार का होता है।
आंतरिक निषेचन :- जो निषेचन मादा के शरीर में संपन्न होता है। अर्थात मादा के शरीर में ही निषेचन होता है। आंतरिक निषेचन कहलाता है। जैसे – मनुष्य आदि।
बाह्य निषेचन :- जब निषेचन की क्रिया मादा के शरीर के बाहर हो तो उसे बाह्य निषेचन कहते है। उदाहरण:- मेढक, इस प्रकार के निषेचन हेतु जलीय माध्यम की आवश्यकता होती है। इसमें नर युग्मक अधिक संख्या में उत्पन्न किये जाते है। क्योकि स्थानान्तरण के दौरान बहुत युग्मकों के नष्ट होने
(v) प्रवास से आप क्या समझते हैं?
उत्तर– कुछ स्पीशीज द्वारा अपने आवास से किसी निश्चित समय में बहुत दूर जाना प्रवास कहलाता है। प्रवास अधिकतर पक्षियों में पाया जाता है। जलवायु में परिवर्तन के कारण प्रवासी पक्षी प्रत्येक वर्ष सुदूर क्षेत्रों से एक निश्चित समय पर उड़कर आते हैं।
(vi) खरपतवार किसे कहते हैं? किसी एक खरपतवार नाशी का नाम लिखिए।
उत्तर -ऐसा पौधा जो अवांछित स्थानों पर बिना बोए स्वयं ही उग जाता है और उस फसल को विभिन्न रूपों में क्षति पहुँचाकर उपज की हानि करता है खरपतवार (kharpatwar) कहलाता है । खरपतवार का उदहारण – गेहूँ की फसल में उगने वाला जंगली जई का पौधा खरपतवार का उदहारण है ।
एक खरपतवार नाशी का नाम –
2,4-डी वीडमार
प्रश्न. लघुउत्तरीय प्रश्न (15)
(i)घर्षण किस प्रकार शत्रु एवं मित्र दोनों है, उदाहरण द्वारा समझाइए
उत्तर – घर्षण शत्रु है- घर्षण के हानिकारक प्रभाव निम्न हैं : घर्षण के कारण वस्तुएँ घिस जाती हैं। घर्षण से अत्यधिक ऊष्मा नष्ट होती है। घर्षण मित्र है, घर्षण अनिवार्य है क्योंकि : यदि घर्षण न हो तो चलना असंभव है ।
(ii) क्या तेज वर्षा के समय किसी लाइनमेन के लिए बाहरी मुख्यलाइन के विद्युत तारों की मरम्मत करना सुरक्षित होता है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर– नहीं, तेज़ वर्षा के समय लाइनमैन के द्वारा बाहरी मुख्य लाइन के विद्युत तारों की मरम्मत करना सुरक्षित नहीं होता क्योंकि वर्षा जल विद्युत का चालक होने के कारण ऐसी स्थिति में विद्युत शॉक का अधिक खतरा बना रहता है। वर्षा जल के कारण बाहर स्थित लाइन गीली हो जाती है।
(iii) संश्लेपित रेशे क्या है? किन्हीं दो प्रकार के संश्लेषित रेशों के नाम व उपयोग लिखिए।
उत्तर– कृत्रिम सूत (Synthetic fibers) वे सूत या रेशे हैं जिन्हें प्राकृतिक रूप से (जानवरों एवं पौधों) नहीं बल्कि कृत्रिम रूप से निर्मित किया जाता है। सामान्य रूप से कहा जाय तो सूत बनाने वाले पदार्थ को किसी पतले छिद्र से बलात भेजकर सूत का निर्माण किया जाता है। जैसे-नाइलान,रेयान,ऐकि्लिक आदि।
प्रश्न 5. हरी पत्तियों के ढेर को जलाना कठिन होता है? परन्तु सुखी पत्तियों में आग आसानी से लग जाती है, समझाइये। (5)
उत्तर– हरी पत्तियों में नमी होने से पत्तियों का तापमान कम रहता है जिसके कारण इनका ज्वलन-ताप बढ़ जाता है, इसलिए हरी पत्तियों के ढेर में आग जलाना कठिन होता है, जबकि सूखी पत्तियों का ज्वलन-ताप कम होने के कारण वे शीघ्रता से आग पकड़ लेती हैं।
अथवा
सोने और चांदी को पिघलाने के लिए स्वर्णकार ज्वाला के किस क्षेत्र का उपयोग करते हैं और क्यों?
प्रश्न 6. यूकेरियोट्स तथा प्रोकेरियोट्स में अंतर लिखिए। (5)
अथवा
पादप कोशिका का नामांकित चित्र बनाइये।
उत्तर-
प्रश्न 7. मनुष्य में लिंग निर्धारण को रेखाचित्र द्वारा समझाइए। (5)
अथवा
एक सारणी बनाइए जिसमें पांच अंतःस्त्रावी ग्रंथियों के नाम तथा उनके द्वारा स्त्रावित हार्मोन्स के नाम लिखिए।
प्रश्न 8. आवेशित गुब्बारा दूसरे आवेशित गुब्बारे को प्रतिकर्षित करता है। जबकि अनावेशित गुब्बारा आवेशित गुब्बारे द्वारा आकर्षित किया जाता है।’ व्याख्या कीजिए। (5)
अथवा
पृथ्वी के अन्दर भूकम्प आने के क्या कारण है? वर्णन कीजिए।
उत्तर-भूकंप के प्रमुख कारण (Major causes of Earthquake in hindi) –
भूकंप के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-
ज्वालामुखी का विस्फोट –
ज्वालामुखी विस्फोट किसी क्षेत्र में भूकंप होने का एक प्रमुख कारण हो सकता है। जब किसी क्षेत्र में ज्वालामुखी विस्फोट होता है तो उसका प्रभाव उस क्षेत्र के निकटवर्ती क्षेत्रों में प्रत्यक्ष रूप से पड़ता है। ज्वालामुखी विस्फोट के कारण निकटवर्ती क्षेत्रों की भूमि पर हलचल या कंपन उत्पन्न होता है जिसे भूकंप कहा जाता है। ज्वालामुखी विस्फोट के प्रभाव में आने वाले क्षेत्रों में भूकंप का प्रभाव अधिक और कम दोनों हो होता है यह ज्वालामुखी के प्रकार पर निर्भर करता है।
भूमि असंतुलन –
भूमि की विभिन्न परतों के असंतुलित होने के कारण भी भूकंप की संभावनाएं होती है। भूमि की ऊपरी सतह निचली सतह से हल्की होती है और यदि किसी क्षेत्र में इन दोनों सतहों में असंतुलन होने लगता है तो उस स्थान में कंपन के कारण भूमि कटाव आदि होने लगता है जिसे भूकंप कहा जाता है। अतः भूमि के असंतुलन के व्यवहार के कारण भी भूकंप आते है।
जलीय भार-
नदियों पर बाँध बनाकर बड़े-बड़े जलाशयों का निर्माण किया जाता है। जलाशयों में जल की मात्रा आवश्यकता से अधिक हो जाने के कारण जल चट्टानों में अपना प्रभाव डालने लगता है जिससे चट्टानों में दबाव बढ़ जाने के कारण उनकी स्थिति में परिवर्तन होने लगता है और इन परिवर्तनों से भूमि में हलचल होने लगती है जिससे तीव्र भूकंप की संभावनाएं रहती है।
पृथ्वी का सिकुड़ना –
पृथ्वी अपने जन्म के बाद से सिकुड़ रही है जिसकी वजह से इसकी विभिन्न परतों में भी कई परिवर्तन देखे जा सकते है। पृथ्वी की सतह सिकुड़ने पर वह अपनी अवस्था में परिवर्तित होने लगती है और इससे भूमि के आतंरिक भाग में कंपन होने लगता है जिससे ऊपरी सतह हिलने लगती है और भूमि कई खण्डों में विभाजित होने लगती है। भूमि का कई खण्डों में विभाजित होना ही भूकंप कहलाता है।
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प्रश्न 9. ध्वनि प्रदूषण किसे कहते हैं? ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के उपाय लिखिए। (7)
उत्तर– पर्यावरण प्रदूषण का एक रूप ध्वनि प्रदूषण भी है यह समस्या भी नगरों में ही अधिक पाई जाती है। पर्यावरण में शोर अर्थात् ध्वनि का बढ़ जाना ही ध्वनि प्रदूषण कहलाता है।
शोर क्या है ? वास्तव में जो आवाज आपको पसंद नहीं है आपके लिए शोर है चाहे वह धीमी आवाज में बजते गाने हो या नारें या वाहनों के हॉर्न, रेल गाड़ी की आवाज, वायुयान की आवाज भी शोर ही है। ध्वनि प्रदूषण आज की एक बहुत गंभीर समस्या बन गई है टाइपराइटर की खट-खट, जनरेटर की घर्र-घर्र की आवाज हमें बहुत परेशान करती है।
ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण
•ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए अनेक प्रकार के उपाय किए जाने चाहिए जैसे-
•वाहनों के हॉर्न वहीं बजाएं जाने चाहिए जहां जरूरत हो, अनावश्यक रूप से वाहनों के हॉर्न नहीं बजाने चाहिए।
• लाउडस्पीकर के उपयोग पर नियंत्रण रखना चाहिए।
• शादी विवाहों में पटाखे व डीजे की आवाज पन भी
निरंतर करना चाहिए।
• मनुष्य को सूचना देने वाले सायरन पर भी नियंत्रण करना चाहिए।
•औद्योगिक संस्थानों को आवासीय क्षेत्रों से दूर बनाना चाहिए, जिससे ध्वनि प्रदूषण काफी हद तक कम हो जाता है।
अथवा
अश्रव्य तथा श्रव्य ध्वनि किसे कहते हैं? इनकी आवृत्ति का परास (Range) लिखिए।
प्रश्न 10. मानव नेत्र का सचित्र वर्णन कीजिए। आप अपने नेत्रों की देखभाल कैसे करेंगे ? (7)
उत्तर- मानव नेत्र
नेत्र, मनुष्य को प्रकृति द्वारा प्राप्त बहुमूल्य देन है। इसके द्वारा ही हम इस रंग-बिरंगे संसार को देख पाते हैं। मानव नेत्र में विभिन्न प्रकार के भाग होते हैं जिनके कार्य भी भिन्न-भिन्न होते हैं।
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मानव नेत्र की संरचना
नेत्र एक गोला होता है जो बाहर से एक दृढ़ व अपारदर्शी श्वेत परत से ढका रहता है गोले का सामने वाला भाग पारदर्शी तथा उभरा हुआ होता है। नेत्र में प्रवेश करने वाला प्रकाश इसी से होकर गुजरता है। उभरे हुए भाग के पीछे एक रंगीन अपारदर्शी झिल्ली का पर्दा होता है इस पर्दे के बीच में एक छिद्र होता है तथा इसके ठीक पीछे नेत्र लेंस स्थित होता है। नेत्र लेंस के पिछले भाग की वक्रता त्रिज्या कम तथा अगले भाग की वक्रता त्रिज्या अधिक होती है। यह अपने स्थान पर मांसपेशियों के बीच में टिका रहता है एवं इसमें अपनी फोकस दूरी को बदलने की क्षमता होती है।
मानव नेत्र के विभिन्न भाग निम्नलिखित प्रकार से हैं।
दृढ़ पटल
नेत्र का गोला बाहर की तरफ से एक दृढ़ तथा अपारदर्शी श्वेत परत से ढका हुआ रहता है। इस परत को दृढ़ पटल कहते हैं।
दृढ़ पटल के नीचे काले रंग की एक झिल्ली स्थित होती है इस झिल्ली को कोराइड झिल्ली कहते हैं। यह झिल्ली प्रकाश को शोषित करके उसके आंतरिक परावर्तन को रोकती है।
कॉर्निया
नेत्र गोले के सामने का भाग पारदर्शी तथा उभरा हुआ होता है। इस उभरे हुए भाग को कॉर्निया कहते हैं। नेत्र में प्रकाश की किरण इसी कॉर्निया से होकर प्रवेश करती है।
आइरिस
कॉर्निया के पीछे एक रंगीन अपारदर्शी झिल्ली का पर्दा स्थित होता है। इस पर्दे को आइरिस कहते हैं। चित्र द्वारा स्पष्ट किया गया है।
पुतली अथवा नेत्र तारा
आइरिस के बीच में एक छोटा सा गोलाकार छिद्र होता है। इस छिद्र को पुतली अथवा नेत्र तारा कहते हैं। पुतली के द्वारा ही नेत्र में प्रवेश करने वाले प्रकाश की मात्रा पर नियंत्रण किया जाता है।
अर्थात् जब आंख पर अधिक प्रकाश पड़ता है तब पुतली का आकार अपने आप ही छोटा हो जाता है तथा अंधेरे में जाने पर इसका अपने आप ही बड़ी हो जाती है।
नेत्र लेंस
नेत्र लेंस नेत्र का एक महत्वपूर्ण भाग है। यह आइरिस के ठीक पीछे होता है। यह कई परतों से मिलकर बना होता है। जिनके अपवर्तनांक बाहर से अंदर की ओर बढ़ते जाते हैं। नेत्र लेंस के पिछले भाग की वक्रता त्रिज्या कम तथा अगले भाग की वक्रता त्रिज्या अधिक होती है। लेंस में अपनी फोकस दूरी को परिवर्तित करने की क्षमता होती है यह अपने स्थान पर मांसपेशियों द्वारा रूका रहता है। जब
किसी वस्तु से आने वाली प्रकाश की किरण नेत्र लेंस पर पड़ती है तो नेत्र लेंस उसको अपवर्तित करके उसका उल्टा तथा वास्तविक प्रतिबिंब रेटिना पर बना देता है।
काचाभ द्रव
कॉर्निया एवं नेत्र लेंस के बीच के स्थान में एक पारदर्शी द्रव भरा रहता है। जिसे काचाभ द्रव कहते हैं। इसका अपवर्तनांक 1.336 होता है।
रेटिना
कोराइड झिल्ली के ठीक नीचे तथा नेत्र के सबसे अंदर की ओर एक पारदर्शी झिल्ली होती है। इस झिल्ली को रेटिना कहते हैं। वस्तु का प्रतिबिंब इसी पर बनता है। रेटिना बहुत सारी प्रकाश तंत्रिकाओं की एक फिल्म होती है।
नेत्र की समंजन क्षमता
जब नेत्र किसी दूर स्थित वस्तु को देखती है तब नेत्र की मांसपेशियां फैल जाती है। तथा लेंस के तलों की वक्रता त्रिज्या बढ़ जाती है। जिसके नेत्र की फोकस दूरी बढ़ जाती है और वस्तु स्पष्ट दिखाई देने लगती है।
तथा इसके विपरीत जब नेत्र किसी नजदीक की वस्तु को देखती है तब नेत्र की मांसपेशियां सिकुड़ जाती है तथा लेंस के तलों की वक्रता त्रिज्या घट जाती है। जिसके फलस्वरूप लेंस की फोकस दूरी भी कम हो जाती है और वस्तु स्पष्ट दिखाई देने लगती है।
अतः नेत्र लेंस द्वारा अपनी फोकस दूरी को आवश्यकतानुसार परिवर्तित करने की क्षमता को नेत्र की समंजन क्षमता कहते हैं।
एक स्वस्थ नेत्र की न्यूनतम दूरी 25 सेंटीमीटर होती है।
हम अपने नेत्रों की देखभाल निम्न प्रकार करेंगे :
हमें अपनी आँखों को बार-बार ठंडे पानी से धोना चाहिए। हमें अपनी आँखें नहीं मलनी चाहिए और न ही गंदे हाथों से छूना चाहिए। यदि धूल के कण हमारी आंखों में प्रवेश करते हैं, तो हमें अपनी आंखों को साफ पानी से धोना चाहिए। हमें सीधे सूर्य या एक शक्तिशाली प्रकाश को नहीं देखना चाहिए।
अथवा
क्या परावर्तित प्रकाश को पुनः परावर्तित किया जा सकता है ? बहु प्रतिविम्व का दैनिक जीवन में उपयोग लिखिए।
प्रश्न 11. धातुओं की आघातवर्धनीयता के गुण से क्या समझते हैं? दैनिक जीवन में इसका उपयोग कहाँ कहाँ होता है? (7)
उत्तर– आघातवर्धनीयता-धातुओं का वह गुण जिसके कारण इन्हें पीट-पीटकर इनकी पतली चादरें बनाई जा सकें, आघातवर्धनीयता कहलाता है। जैसे सोना, चाँदी, ताँबा व एलुमिनियम आदि धातुओं में यह गुण पाया जाता है।
दैनिक जीवन में इसका उपयोग
तांबे का उपयोग आमतौर पर विद्युत तारों में किया जाता है; कई कंप्यूटर तकनीकों में सोने का उपयोग किया जाता है और चांदी का उपयोग अक्सर इलेक्ट्रॉनिक सर्किट्री में किया जाता है।
अथवा
धातुओं और अधातुओं की ऑक्सीजन और जल से अभिक्रिया को लिखिए।
प्रश्न 12. जल प्रदूषण किसे कहते हैं? हमारी कौन-कौन सी गतिविधियों जल को प्रदूषित करती हैं? (7)
अथवा
टिप्पणी लिखिए।
(i) वायु प्रदूषण का ताजमहल पर दुष्प्रभाव
उत्तर– हवा में मौजूद धूल और कार्बन के कण ताज महल पर जम जाते हैं। इससे संगमरमर की चमक लगातार फीकी पड़ रही है। इसे ही ताजमहल के सौंदर्य के बिगड़ने का सबसे बड़ा कारण माना जाता रहा है।
(ii) गंगा कार्य परियोजना
उत्तर- गंगा कार्य योजना (Ganga Action Plan) – नदियाँ विश्व स्तर पर सर्वाधिक भूतल की आकृतियों को निर्धारित करती है। प्राकृतिक रूप से नदियाँ मानव समाज के लिए सबसे ज्यादा हानिकारक भी होती हैं।
भारत में गंगा सबसे पवित्र मानी जाने वाली नदी है परन्तु यह नदी लम्बे समय से विषाक्त रसायनों को समेटते समेटते, गन्दगी को ढोते ढोते थक कर एक गन्दा नाला मात्र बनकर रह गयी है। गंगा के 2555 कि०मी० में 600 कि० मी० का सफर सबसे ज्यादा प्रदूषित है। 1000 मिलियन लीटर मल जल प्रतिदिन गंगा में मिलता है।
गंगा का प्रदूषित होने का कारण बढ़ता शहरीकरण तथा बढ़ता औद्योगीकरण है।
भारत सरकार ने ऋषिकेश से कलकत्ता तक गंगा को प्रदूषण से मुक्त करने के लिए केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का गठन 1984 में किया। 1985 में केन्द्रीय गंगा प्राधिकरण का गठन किया। गया जिसने प्रदूषण दूर करने के लिए चार स्तरीय गंगा प्लान रखा जिससे तहत कार्य प्रारम्भ किया गया। इसका उद्देश्य (1) गंगा नदी में गिरने वाले गन्दे मल-जल को रोकना, (2) जल शोधन संयंत्र लगाना था। इसकी जो चार स्तरीय योजना की वह इस प्रकार थी।
प्रथम स्तर– इस स्तर में नगरों तथा कस्बों के मल-जल को नदी तक न पहुँचने देना, जल का शोधन तथा इसे सिंचाई के लिए उपलब्ध कराना।
द्वितीय स्तर – प्रमुख नगरों में विद्युत शवदाह गृह बनाना तथा शहरी कचड़े का उचित निस्तारण ।
तृतीय स्तर – नदी के किनारों पर अपरदन होने से अवसाद प्रदूषण की रोकथाम।
चतुर्थ स्तर-सामाजिक-आर्थिक संस्थाओं, सरकारी-गैर सरकारी संस्थाओं तथा स्वयंसेवी संगठनों के द्वारा शुद्ध जल के प्रति जागरुकता पैदा करना।
इस योजना में 1990 तक फायदा ही हुआ परन्तु बाद में यह योजना प्रभावशील दिखाई नहीं रही है।
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